“ कौन कहता है कि वह हार गयी; वह हारेगी तब, उसकी मुठ्ठी खुलेगी जब.”

सालों बाद यह मेरी जिन्दगी की पहली रात है जब मुझे अपनी कहानी को कागज के पन्नों पर समेटने का मौका मिला है पर मैं यह तय नहीं कर पा रही हूँ कि शुरुआत कहाँ से करुँ ? चूंकि मेरी जिन्दगी का हर एक पल कहानी का एक हिस्सा है जिसे भूलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है । जो शहर और गाँव मुझे पहचानता नहीं था; उसी शहर और गाँव में मेरे नाम की चर्चा है ।
लोग मेरे सम्मान में अपना सर झुकाते हैं और अपने बच्चों को मेरे जैसा बनने की प्रेरणा देते हैं; सिर्फ इसलिए नहीं कि मेरे पास जरुरत से ज्यादा पैसा, आलिशान महल जैसा घर और मंहगी कारें हैं । वे मेरा सम्मान इसलिए करते हैं कि मैं जिस कामयाबी की ऊँचाई पर खड़ी हूँ; उस ऊँचाई तक आने की मेरी उड़ान आसान नहीं थी……