आज मैं आपके लिए लेकर आया हूँ Best story for child in Hindi मैं आशा करता हूँ कि आपको यहाँ पर दिए जा रहे सभी Story for child in Hindi को मन लगाकर पढ़ेंगे; और इन्हें आप अपने बच्चों, छोटे भाई और बहनों को सुनाएंगे.
आप तो अच्छे से जानते हैं कि बच्चों को कोई चीज़ सीखानी हो; चाहे वो बहादुरी की बातें हों, ईमानदारी की हों या निडरता की; सब कुछ हम उन्हें कहानी के माध्यम से आसानी से सीखा सकते हैं; क्योंकि बच्चे खुद को बहुत आसानी से कहानी से जुड़ जाते हैं.

मैं आज आपको यहाँ पर जो भी Story for child in Hindi बताने जा रहा हूँ; सभी Story प्रेरणा और नैतिकता से भरी हुई हैं; यदि आप इन्हें दिल से पढ़ते और बच्चों को सुनाते हैं; तो बच्चे कहानी-कहानी में जीवन से जुड़ी बातों को बहुत ही आसानी से सीख जाएंगे;
यह मेरा आपसे वादा है; चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और एक-एक कर सभी Story for child in Hindi को पढ़ना शुरू करते हैं.
मुर्ख बंदर की टोली – Story For Child In Hindi

एक दिन की बात है; जंगल से सटे गाँव के पास मंदिर बन रहा था; वहाँ काम करने वाले कारीगर हर दिन की तरह उस दिन भी खाना खाने के लिए गाँव में आए थे;
इसी बीच जंगल में रहने वाले बंदरों की टोली घुमते-फिरते वहाँ पहुँच गयी; जहाँ कारीगरों का काम चल रहा था.
कारीगरों को वहाँ न पा कर बंदरों ने यहाँ वहाँ उछल-कुद मचाना शुरू कर दिया; वहीं एक कारीगर विशाल लकड़ी का एक दरवाजा एक कील के सहारे टिका कर छोड़ दिया था;

उन मुर्ख बंदरों की टोली में से एक बंदर को यह सहन नहीं हुआ कि यह कील यहाँ क्यों फंसी है? Read Story for child in Hindi
वह बिना सोचे समझे अपने दोनों हाथों की मदद से कील को बाहर निकालने के जी तोड़ कोशिश करने लगा; काफी प्रयास के बाद कील बाहर आ गयी;
पर कील के सहारे टिका हुआ विशाल दरवाजा उस मूर्ख बंदर के ऊपर गिर गया; और वह उस दरवाजा के अंदर दबकर तड़प-तड़प कर मर गया.
दोस्तों, इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि हमें दूसरों के काम में कभी भी अपनी टांग नहीं अड़ानी चाहिए; वरना उस मुर्ख बंदर की तरह हमें भी बुरा परिणाम मिलेगा;
अब चलिए हम आगे बढ़ते हैं और Story for child in Hindi में एक नई प्रेरणादायक कहानी पढ़ना शुरू करते हैं.

ढोल की पोल खुल गया – Best Story For Child In Hindi

एक बार एक गिदड़ भूखा प्यासा जंगल में घूम रहा था; वह घुमते घुमते एक युद्ध के मैदान में पहुँच गया; वहाँ का मंजर देखकर मालूम पड़ रहा था कि दो सेनाओं के बीच घमासान युद्ध होकर खत्म हो गया था; किन्तु एक पुराना ढोल अभी भी वहीं पर पड़ा हुआ था.
उस ढोल पर इधर-उधर लगी बेलों की लताएँ हवा में हिलती हुई ढोल पर आक्रमण कर रही थीं; जब-जब लताएँ ढोल पर प्रहार करती थीं; ढोल से जोर-जोर की आवाज होती थी.
ढोल की आवाज सुनकर गिदड़ उस तरफ भागता हुआ आया; और नजदीक आकर चुपके से ढोल को देखा; और आह भरते हुए उसने खुद से मन में कहा; “इससे पहले कि यह भयानक आवाज निकालने वाला मुझे देख; और दबोच ले कि इससे पहले मैं यहाँ से निकल लूँ” Read Story for child in Hindi
पर दूसरे ही पल उसे याद आया कि भय या आनंद के उद्वेग में सहसा कोई काम नहीं करना चाहिए; पहले भय के कारण की खोज करनी चाहिए;
यह सोचकर वह ढोल के और भी करीब गया; और देखा कि ढोल पर बेलों की लताएँ चोट कर रही थीं; गिदड़ ने भी स्वयं ढोल पर हांथ मारना शुरू कर दिया; ढोल और भी जोर से बज उठा.
गिदड़ ने सोचा, “यह जानवर तो बहुत ही सीधा-साधा मालूम पड़ता है; इसका शरीर भी बहुत बड़ा है; मांसल भी है, इसे खाने से कई दिनों की भूख मिट जाएगी; इसमें चर्बी, मांस और रक्त खूब होगा;” यह सोचकर उसने ढोल के ऊपर लगे चमड़े में अपने दांत गड़ा दिये.
चमड़ा बहुत कठोर था, गिदड़ के दो दांत टूट गये; बड़ी कठिनाई से ढोल में एक छेद हुआ; उस छेद को चौड़ा करके जब गिदड़ ने ढोल के अंदर घुसा; तो यह देखकर बहुत निराश हुआ कि वह तो अंदर से बिल्कुल खाली है; उसमें तो रक्त, मांस और चर्बी है ही नहीं. Read Story for child in Hindi
इस कहानी को पढ़कर हमें यह सीख मिलती है कि शब्द मात्र से डरना नहीं चाहिए; बल्कि आगे बढ़कर उसे जानना चाहिए.
मैं आशा करता हूँ कि आपको ऊपर बताए गए दोनों Story for child in Hindi को पढ़ना अच्छा लगा होगा; यदि हाँ तो चलिए आगे बढ़ते हैं और नीचे दिए जा रहे बाकी के Story for child in Hindi को पढ़ना शुरू करते हैं.
बुरी संगति का फल – Best Story For Child In Hindi

एक राजा के शयन गृह में शैया पर बिछी सफेद चादरों के बीच एक मंद मंदविसर्पिगी सफेद जू रहती थी; एक दिन इधर-उधर घूमता हुआ एक खटमल भी वहाँ आ गया; उस खटमल का नाम था ‘अग्निमूख’.
अग्निमूख को देखकर दुखी जू ने कहा; “हे अग्निमूख! तू यहाँ अनुचित जगह पर आ गया है; इससे पहले कि कोई आकर तुम्हें देखे; यहाँ से भाग जाओ.”
खटमल बोला, “भगवती! घर आए दुष्ट व्यक्ति का भी इतना अनादर नहीं किया जाता; जितना तू मेरा कर रही है. उससे भी सुख-दुःख पुछा जाता है;
घर बनाकर बैठने वालों का यही धर्म है. मैंने आज तक अनेक प्रकार का कटु-तिक्त-कषाय-अम्ल रस का खून पिया है; केवल मिठा खून नहीं पिया.
आज इस राजा के मिठे खून का स्वाद लेना चाहता हूँ; तू तो रोज ही मिठा खून पिती है; एक दिन मुझे पी लेने दे.” Read Story for child in Hindi
जू बोली, “अग्निमूख! मैं राजा के सो जाने के बाद उसका खून पिती हूँ; तू बड़ा चंचल है; कहीं भूल से पहले ही तूने खून पीना शुरू कर दिया; तो दोनों मारे जाएंगे. मेरे पीछे रक्तपान करने की प्रतिक्षा करें तो एक रात भले ही ठहर जा.”
खटमल बोला, “ भगवती! मुझे स्वीकार है; मैं तबतक खून नहीं पिऊंगा जबतक तू नहीं पी लेगी. वचन भंग करूँ तो मुझे देव-गुरु का श्राप लगे.”
इतने में राजा ने चादर ओढ़ ली; दिपक बुझा दिया; खटमल बड़ा चंचल था; उसकी जीभ से पानी टपक रहा था. मिठे खून की लालच से उसने जू के खून पीने से पहले ही राजा को काट लिया; जिसका जो स्वभाव हो; वह उपदेशों से कहाँ बदलता है; अग्नि अपनी जलन और पानी अपनी शीतलता को कहाँ छोड़ती है.
मरे हुए जीव भी अपने स्वभाव के विरुद्ध नहीं जा सकते; अग्निमूख खटमल के पैने दातों ने राजा को तडपा कर उठा दिया. पलंग से कूद कर राजा ने संतरी से कहा; “देखो, इस पलंग में खटमल या जू अवश्य है; इन्हीं में किसी एक ने मुझे काटा है” Read Story for child in Hindi
संतरियों ने दिपक जलाकर चादर की तहें देखनी शुरू की; इसी बीच खटमल जल्दी से भागकर पलंग के पाओं के जोड़ में जा छिपा. मंदविसर्पिगी जू चादर की तह में ही छिपी थी जिसे संतरियों ने पकड़ कर मसल डाला.
इस कहानी को पढ़ कर हमें यही सीख मिलती है कि हमें हमेशा कुसंगति से दूर ही रहनी चाहिए; वरना हम अच्छे होते हुए भी परेशानी में पड़ जाएंगे; जिस तरह से खटमल के चक्कर में जू मारी गयी; चलिए अब हम Story for child in Hindi में एक नई कहानी पढ़ना शुरू करते हैं.
Read Story For Child In Hindi And Learn Moral Activities
मैं आशा करता हूँ कि ऊपर बताए गए दोनों Story for child in Hindi को अच्छे से पढ़ लिए होंगे; और इन दोनों कहानियों से आपको कुछ सीख भी मिली होगी;
यदि हाँ तो आप अपने जीवन को कहानी से मिली सीख के अनुरूप ढालने की कोशिश में लग जाइये; चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं; और नीचे दिए जा रहे बाकी के Story for child in Hindi को पढ़ना शुरू करते हैं.
रंगा सियार – Best Story For Child In Hindi

एक समय की बात है; जंगल में रहने वाला कालिया नाम का एक गिदड़ भूख से तड़पता हुआ खाने की तलाश में शहर में आ पहुँचा. उसके शहर में पहुँचते ही कुत्ते उसके ऊपर भौंकना शुरू कर दिए; और यही नहीं शहर के आवारे कुत्ते उसे घेर कर नोचने लगे.
कुत्तों के डर से कालिया जान बचाकर भागा; भागते-भागते जो भी दरवाजा पहले मिला; उसमें घुस गया. जिस घर में वह गिदड़ घुसा था; वह एक धोबी का मकान था. मकान के अंदर आंगन में एक बड़ी कढ़ाई में धोबी नील घोलकर नीला पानी बनाया हुआ था.
कढ़ाई नीले पानी से पूरी तरह से भरी हुई थी; जब गिदड़ डरा हुआ मकान के अंदर घुसा तो वह डर से भागते हुए नीले पानी से भरी हुई कढ़ाई में जा गिरा. वहाँ से निकला तो उसका रंग ही बदल गया था. Read Story for child in Hindi
अब वह बिल्कुल नीले रंग का हो गया था; नीले रंग में रंगा हुआ कालिया जब जंगल में पहुँचा तो जंगल में रहने वाले सभी जानवर उसे देखकर आश्चर्य में पड़ गये; क्योंकि उन्होंने आज तक इस रंग का जानवर नहीं देखे थें.
उसे विचित्र जीव समझकर शेर, बाघ और चीते भी डर-डर जंगल से भागने लगें; सब ने सोचा, “न जाने यह विचित्र जीव कितना ताकतवर होगा; इससे डरना ही हमारे लिए भला है.”
जब कालिया ने सभी जानवरों को जंगल से डर कर भागते हुए देखा तो उसने उन्हें बुलाकर बोला, “पशुओं! तुम सब मुझसे क्यों डर रहे हो? मैं तुम्हारी सुरक्षा के लिए यहाँ आया हूँ. त्रिलोक के राजा ब्रम्हा ने आज ही मुझे बुलाकर कहा था, “आजकल चौपायों का कोई राजा नहीं है; सिंह व मृगादि सब राजाहीन हैं; आज मैं तुम्हें उनका राजा बनाकर भेजता हूँ. तू वहाँ जाकर सबकी रक्षा कर.” इसलिए मैं यहाँ आ गया हूँ; मेरी क्षत्रछाया में सब पशु आनंद से रहेंगे. मेरा नाम मानसिंह राजा है.” Read Story for child in Hindi
यह सुनकर शेर-बाघ आदि पशुओं ने कालिया नाम के गिदड़ को अपना राजा मान लिया; और बोले, “स्वामी! हम आपके दास हैं; आज्ञा-पालक हैं, आज से हम सब आपकी ही आज्ञा का पालन करेंगे.”
कालिया ने राजा बनने के बाद शेर को अपना प्रधानमंत्री बनाया; बाघ को नगर रक्षक, और भेड़िए को संतरी बनाया. अपने आत्मिय गिदड़ों को जंगल से बाहर निकाल दिया. उसने बात भी नहीं की; वह जानता था कि बात करूँगा तो मेरी पोल खुल जाएगी कि मैं एक गिदड़ हूँ.
उसके राज्य में शेर आदि जीव छोटे-छोटे जानवरों को मारकर कालिया को भेट किया करते थें; कालिया उनमें से कुछ भाग खाकर शेष अपने नौकरों-चाकरों में बांट देता था. Read Story for child in Hindi
कुछ दिन तक उसका राज्य शांति से चलता रहा; लेकिन एक दिन बड़ा अनर्थ हो गया; उस दिन कालिया को दूर से गिदड़ों की किलकारियां सुनाई दी. उन्हें सुनकर कालिया का रोम-रोम खिल उठा.
खुशी में पागल होकर वह भी किलकारियां मारने लगा; शेर-बाघ आदि पशुओं ने जब उसकी किलकारियां सुनी तो वे हैरान रह गए कि यह कालिया ब्रम्हा का दूत नहीं; बल्कि नीले रंग में रंगा मामूली गिदड़ है. Read Story for child in Hindi
अपनी मुर्खता पर लज्जा से सिर झुकाकर वे आपस में सलाह करने लगे; “ इस गिदड़ ने तो हमें खूब मुर्ख बनाया; इसे इसका दंड दो; इसे मार डालो.”
कालिया ने शेर-बाघ आदि की बात सुन ली, वह भी हैरान रह गया कि उसकी पोल खुल गयी; अब जान बचानी भी कठिन है; इसलिए वह वहाँ से भागा; किन्तु शेर के पंजे से भाकर कहाँ जाता? एक ही छलांग में शेर ने उस ढोंगी गिदड़ को मौत के घाट उतार दिया.
इस Story for child in Hindi को पढ़कर हमें यही शिक्षा मिलती है कि अपनों को दुतकार कर परायों को अपनाता है; उसका आज नहीं तो कल विनाश हो ही जाता है.
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फूंक-फूंक कदम रखो – Best Motivational Story For Child In Hindi

एक समय की बात है; एक जंगल में सिंहसाब नाम का एक शेर रहता था; वह अपने यहाँ ढेर सारे नौकरों को काम पर रखा हुआ था; जिसमें शामिल थे – कौवा, गिदड़, बाघ, चीता आदि अनेक जानवर थें.
एक दिन शाम का समय था; इसी बीच एक ऊंट भटकते हुए उस जंगल में आ पहुँचा; शेर ने उसे देखकर अपने नौकरों से पुछा, “यह कौन सा जानवर है? इस तरह का जानवर यहाँ इस जंगल में नहीं रहता; क्या यह किसी गांव से आया है? क्या यह एक पालतू जानवर है?”
“हाँ, मालिक!” शेर के नौकरों में से एक नौकर कौवा बोला, “यह गाँव में रहने वाला एक पालतू जानवर है; यह आपका भोजन है; इससे आपका और आपके सारे नौकरों की भूख मिट सकती है.” Read Story for child in Hindi
“खबरदार! यह हमारा मेहमान है, घर आए मेहमान को मारना क्या – ऐसा सोचना भी पाप है,” शेर ने अपने नौकर कौवे को डांटते हुए कहा, “मेहमान भगवान के समान होते हैं;” फिर उसने ऊंट से कहा, “तुम्हें हमसे डरने की जरूरत नहीं है; जबतक तुम चाहो यहाँ रह सकते हो; और जब तुम्हारी मर्जी हो यहाँ से जा सकते हो; तुम्हें कोई नहीं रोकेगा.”
ऊंट ने अपना दुख शेर और उसके नौकरों को सुनाया कि वह अपने साथियों से बिछड़ कर यहाँ इस जंगल में आ गया. शेर ने ऊंट को धीरज बंधाते हुए कहा, “अब तुम्हें गांव जाकर बोझ ढोने की जरूरत नहीं है; अब तुम यहाँ रह कर हरी-हरी घास खाने का आनंद उठाओ; और खुशी से खेलो-कुदो.” Read Story for child in Hindi
शेर का आश्वासन मिलने के बाद ऊंट बहुत खुश हुआ और वह आनंद से उस जंगल में रहने लगा.
कुछ दिन बाद उस जंगल में एक पागल हाथी आ गया; पागल हांथी से अपने प्रिय जानवरों को बचाने के लिए शेर को उस हांथी से युद्ध करना पड़ा; इस युद्ध में शेर की विजय हुयी; पर दुख की बात यह थी कि इस युद्ध में शेर बुरी तरह से घायल हो गया; वह अच्छे से चल नहीं पा रहा था; जिसकी वजह से वह शिकार करने के योग्य नहीं रहा था.
शिकार के अभाव में उसे बहुत दिन से भोजन नहीं मिला था; उसके अनुचर भी, जो शेर के बचे-खुचे खाने से अपना पेट भरते थें; वे भी भूख से तड़पने लगे थे. Read Story for child in Hindi
एक दिन शेर ने उनको अपने पास बुलाकर कहा; “मित्रों! मैं बहुत घायल हो गया हूँ; फिर भी यदि कोई शिकार तुम मेरे पास तक ले आओ; तो मैं उसको मारकर तुम्हारे पेट भरने योग्य मांस तुम्हें अवश्य दे दूंगा.”
शेर की बात सुनकर, चारों अनुचर कौवा, गिदड़, चीता और बाघ शिकार की खोज में लग गयें; परन्तु कोई फल नहीं निकला; तब कौवे और गिदड़ में बात विचार हुआ; गिदड़ बोला, “काकराज! अब इधर-उधर भटकने से क्या लाभ; क्यों न इस ऊंट को ही मारकर अपनी भूख मिटायी जाये.”
कौवा बोला, “तुम्हारी बात तो ठीक है; पर स्वामी ने उसे अभय वचन दिया हुआ है; उसका क्या?”
गिदड़ ने कहा, “मैं ऐसा उपाय करुँगा कि स्वामी उसे मारने के लिए तैयार हो जाएंगे; बस आप देखते रहिये; आप यहीं रहें, मैं खुद जाकर स्वामी से निवेदन करता हूँ” Read Story in Hindi with moral
गिदड़ ने तब शेर के पास जाकर कहा, “स्वामी! हमने सारा जंगल छान मारा; पर हमारे हांथ एक भी पशु नहीं आया; अब तो हम सभी इतने भूखे प्यासे हो गए हैं कि एक कदम आगे भी नहीं चला जाता; आपकी दशा भी ऐसे ही; आज्ञा दें तो गांव से आए हुए ऊंट को ही मारकर अपनी भूख शांत की जाये.”
गिदड़ की बात सुनकर शेर ने गुस्से से कहा, “पापी! आगे से ऐसी बात मुंह से निकाली तो मैं तुम्हारा प्राण ले लूँगा; जानता नहीं, मैंने उसे अभय वचन दिया है.” Read Story for child in Hindi
गिदड़, “स्वामी! मैं आपको वचन भंग के लिए नहीं कह रहा; आप उसका स्वयं वध न कीजिए; किन्तु यदि वही ऊंट स्वयं आपकी सेवा में प्राणों की भेंट लेकर आए; तब तो उसके वध में कोई दोष नहीं है; यदि वह ऐसा नहीं करता है तो हममें से सभी आपकी सेवा में अपने शरीर की भेंट लेकर आपकी भूख शांत करने के लिए आएंगे! जो प्राण स्वामी के काम न आए उसका क्या उपयोग; स्वामी के नष्ट होने पर अनुचर भी नष्ट हो जाते हैं. स्वामी की रक्षा करना उनका धर्म है.” Read Moral Story in Hindi for kids
शेर बोला, “यदि तुम्हारा यही विश्वास है; तो मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं.”
शेर से आश्वासन पाकर गिदड़ अपने अन्य अनुचर साथियों के पास आया; और उन्हें लेकर शेर के सामने उपस्थित हो गया. वे अपने शरीर दान से अपने स्वामी की भूख शांत करने आए थे. Read Story for child in Hindi
गिदड़ उन्हें यह वचन देकर लाया था कि शेर बाकी पशुओं को छोड़कर ऊंट को ही मारेगा; सबसे पहले कौवे ने शेर के पास जाकर चतुराई से कहा, “स्वामी! मुझे खाकर अपनी जान बचायें; जिससे मुझे स्वर्ग मिले. स्वामी के लिए प्राण देने वाला सीधा स्वर्ग जाता है; अमर हो जाता है.”
गिदड़ ने कौवे को कहा, “अरे, कौवे, तू इतना छोटा है कि तुझे खाने के बाद स्वामी की भूख नहीं मिटेगी. तेरे शरीर में मांस ही कितना है कि कोई खाएगा. मैं अपना शरीर स्वामी को अर्पण करता हूँ.” Read Story for child in Hindi
गिदड़ ने जब अपना शरीर शेर को अर्पण किया तो बाघ ने उसे हटाते हुए कहा, “तू भी बहुत छोटा है; तेरे नाखून इतने बड़े और जहरीले हैं कि कोई खाएगा तो मर ही जाएगा. मैं अपने आपको स्वामी को अर्पण करूँगा; वे मुझे खाकर अपनी भूख शांत करें.”
उसे देखकर ऊंट ने भी सोचा कि वह भी अपने आपको शेर को अर्पण करे; जिन्होंने ऐसा किया था; उनमें से शेर ने किसी को नहीं मारा था; यही देखकर ऊंट ने भी खुद को अर्पण करने के लिए तैयार हो गया; उसे लगा कि शेर उसे भी नहीं मारेगा; क्योंकि शेर ने उसे अभय वचन जो दिया था; उस ऊंट क्या पता कि वह गिदड़ और कौवे की जाल में फंस चुका था. Read Story in Hindi small for child
ऊंट ने बाघ को एक तरफ हटा दिया; और शेर को अपना शरीर अर्पण किया; तब शेर का इशारा पाकर गिदड़, कौवा, बाघ, चीता आदि जानवर उस ऊंट पर टूट पड़े; और उसका पेट फाड़ डाला; सबने उसके मांस से अपना पेट भरा.
इस कहानी को पढ़कर हमें यही सीख मिलती है कि हमें हर कदम पर सतर्क होना चाहिए; क्या पता कौन कहाँ और कैसे घात लगाए बैठे हैं.
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